मैं भीतर ही भीतर अपने अंदर फैले सन्नाटे से घुट रही थी| तमाम नाते रिश्ते छूट चुके थे| ‘पीली कोठी’ ख्व... मैं भीतर ही भीतर अपने अंदर फैले सन्नाटे से घुट रही थी| तमाम नाते रिश्ते छूट चुके...
लेखक : मिखाइल बुल्गाकव अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : मिखाइल बुल्गाकव अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
गुरुकुल में बाबूजी के अनुभव की रोचक कहानी .. १९४७ की गुरुकुल में बाबूजी के अनुभव की रोचक कहानी .. १९४७ की
जीवन में हमेशा हमें वक़्त के साथ चलना चाहिए ................... जीवन में हमेशा हमें वक़्त के साथ चलना चाहिए ...................
मैं एक दिन टैक्सी से भोपाल जा रहा था। साथ में अन्य सवारियां भी थीं । सब की नजरें और गर्दन झुकी हुई थ... मैं एक दिन टैक्सी से भोपाल जा रहा था। साथ में अन्य सवारियां भी थीं । सब की नजरें...
"माते जिस प्रकार आपने एक प्यासे को पानी पिलाकर बड़ा ही पुण्य का काम किया है। "माते जिस प्रकार आपने एक प्यासे को पानी पिलाकर बड़ा ही पुण्य का काम किया है।